Indian love story।village love story।।Love story of dev and radhi

 ### Radhi and Dev: A Love Story from 1986 It is 1986. Two villages, Dhana and Matata, although close in proximity, are entirely different. Dhana is a flat village with fertile land and roads connecting it to ten neighboring villages. In contrast, Matata is a hilly village with rugged terrain and less flat land, making it quite isolated. **Birth and Tradition:** Radhi is born in Dhana, known for its expansive fields and vibrant community life. Dev is born in Matata, surrounded by rolling hills and challenging paths. According to traditional customs, when Radhi and Dev were five years old, their families arranged their engagement, a promise of future union. This engagement was celebrated with traditional rituals, but the children were unaware of the significant bond that had been created. **Growing Up Separately:** As the years go by, Radhi and Dev live separate lives in their respective villages. Radhi enjoys the bustling life in Dhana, participating in village festivals, helping w...

गांधीजी की झलक

 दाण्डी गांव में हर साल आते हैं 3 लाख से ज्यादा लोग

गुजरात के नवसारी के पास का गांव दाण्डी। समुंद्र के किनारे बसे इस गांव के कण-कण में गूंजते हैं गांधीजी। उस रास्ते को अब हजारों लोग नमन करते हैं, जहां से बापू गुजरे थे। महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को समझने के लिए हर साल 3 लाख से ज्यादा लोग यहां आते हैं। नया म्यूजियम और गांधी जीवन पर बना स्मारक गांधीजी की दाण्डी की पूरी यात्रा को अपने में समेटे है। ऐसा लगता है कि गांधीजी ने 241किमी के इस रास्ते के कदम कदम पर लिख दिया हो... अंग्रेजों भारत छोड़ो। इसकी अनुभूति यहां आने वालो को दुबले-पतले गांधीजी की ताकत का अहसास करवाती है। दाण्डी गांव को किताबों में पढ़ने और इस गांव में कदम रखने में रात–दिन का फर्क है। दाण्डी गांव के पूरे रास्ते में आम, गन्ने, चीकू और बाग बगीचे हैं। नवसारी से दाण्डी तक के सफर में जगह-जगह दाण्डी पथ लिखा है। यह वही मार्ग के जिस पर गांधीजी चले थे।

म्यूजियम समेटे है कई पुरानी यादें



म्यूजियम के एक किनारे समुद्र है। यहां गांधीजी की बड़ी प्रतिमा और उनके साथ चले 78 लोगों की कदम चाल दिखाती प्रतिमाएं बेहद आकर्षक है, जिसके साथ हर कोई सेल्फी लेता नजर आता है। यहां दाण्डी पथ को एक पूरे यात्रा वृतांत में समझाया गया है। इसके सामने ही नमक उत्पादन का तरीका और फिर एक हॉल में गांधीजी की दाण्डी यात्रा की मूवी दिखाई जाती है, जो इस पूरे जीवन चक्र को समझती है।

दाण्डी यात्रा करवाता म्यूजियम

गांधीजी की दाण्डी यात्रा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक म्यूजियम लोकार्पित किया है,जो दाण्डी यात्रा को दर्शाता है। साबरमती से लेकर दाण्डी तक के 241 किमी के 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 के इस सफर में गांधीजी जिस जिस गांव में गए, वहां के जीवंत दृश्य की प्रतिमाएं है। युवा, महिला, व्यापारी, आमवर्ग और अन्य वर्ग उनसे जुड़ा।

सेल्फी–ग्रूपी और दर्शन

यहां आने वाले लोगों की एंट्री करने वाले नीलेश पटेल ने बताया कि प्रतिदिन 500 से अधिक लोग यहां आते हैं। जो भी यहा आता है, वह यह तय करके आता है की गांधीजी के लिए ही जा रहा हूं और लौटते हुए वहां अपने भीतर गांधीजी को पाता है।



गांधीजी की जन्म स्थली : पोरबंदर

पोरबंदर गुजरात का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। गांधीजी के जीवन से जुड़े कई स्थल है, जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं। पोरबंदर में गुजरात का सबसे अच्छा समुंद्र तट है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए मंदिर, किले, अभ्यारण स्वागत के लिए आतुर दिखाई देते हैं। कीर्ति मंदिर पोरबंदर का आकर्षण का केंद्र है। 



इस मंदिर में एक गांधीवादी पुस्तकालय और प्रार्थना कक्ष है। यहां स्थित घुमली गणेश मंदिर 10 वीं शताब्दी के आरंभ में बना था। यह मंदिर गुजरात में आरंभिक हिंदू वास्तुशिल्प का सुंदर नमूना था। पोरबंदर पक्षी अभ्यारण में कई प्रजातियों के पक्षियों को देखा जा सकता है। हुजूर महल एक विशाल इमारत है। इसकी छत लकड़ी से बनी है। यहां के दरबारगढ़ महल का निर्माण राणा सरतनजी ने करवाया था। इस महल का प्रवेश द्वार पत्थर का बना हुआ है। जिस पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। महल के दरवाजे के दोनों और ऊंची मीनारें और लकड़ी के विशाल द्वार है। पोरबंदर तट गुजरात के प्रमुख समुद्री तटों में से एक है। यह तट वेरवाल और द्वारिका के बीच स्थित एक सुंदर तट है। यहां आप नेहरू तारामंडल देख सकते हैं। यहां दोपहर में चलने वाला शो गुजराती भाषा में होता है। इसके अलावा भी यहां सैलानियों के देखने के लिए बहुत कुछ है।


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